विभाग की कई विरोधी नीतियों के विरोध में उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक आहूत की।
विभाग की कई विरोधी नीतियों के विरोध में उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक आहूत की।
विभाग की कई विरोधी नीतियों के विरोध में उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में बैठक आहूत की।
उत्तराखंड (देहरादून ) बुधवार, 19 नवंबर 2024
जनपद देहरादून में प्रदेश के सबसे बड़े संगठन,उत्तराखंड प्राइमरी टीचर्स एसोसिएशन /उत्तराखंड प्राथमिक शिक्षक संघ, देहरादून शिक्षिकों की वर्तमान में विभिन्न समस्यायों के संदर्भ में एक आवश्यक बैठक का आयोजन जिलाध्यक्ष धर्मेन्द्र सिंह रावत की अध्यक्षता में किया गया। बैठक में वर्तमान में विभाग में कई विषय एकसाथ ऐसे बन गए है जिनका विरोध किया जाना शिक्षकों के अति आवश्यक हो गया है पर विस्तार से चर्चा हुई तथा अपनी न्यायोचित मांगों के सन्दर्भ में आगामी विरोध प्रदर्शन, आंदोलन हेतु भी उपस्थित पदाधिकारियों के द्वारा एक सुर में समर्थन देने का प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित किया गया। बैठक में अन्य विभिन्न मुद्दों के साथ साथ निम्नलिखित प्रमुख ज्वलंत प्रकरणों पर विभिन्न निर्णय हुए।
बैठक में माननीय मंत्री जी द्वारा 22 नवंबर 2024 को देहरादून में आहूत बैठक में मुख्य हितधाराकों के संगठन को आमंत्रित न किया जाने का कड़ा विरोध किया गया। आज की बैठक में एक सुर में 22 नवंबर को होने वाली सभी शिक्षक संगठनों की बैठक में उत्तराखंड के सबसे बड़े संगठन,प्राथमिक शिक्षक संगठन के प्रांतीय तदर्थ समिति के अध्यक्ष /मंत्री व देहरादून जनपद के अध्यक्ष /मंत्री को त्रिस्तरीय पैटर्न का मुख्य हितधारक होने के फलस्वरूप शीघ्र आमंत्रित किया जाने का माननीय मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री जी से आग्रह किया गया है।
1- पूरे वर्ष के लिए एकसमान विद्यालय संचालन समयावधि 8:45 से 3:15 तक पूरी तरह से अव्यवहरिक है।उत्तराखंड प्रदेश का गठन ही, प्रदेश की विषम भौगोलिक परिस्थिति के कारण हुआ था, यहाँ एक समान स्थालाकृति न होने के कारण एवं विभिन्न प्रकार की जलवायु के चलते एक समय पर विद्यालय संचालन रखना पहाड़ी क्षेत्र और मैदानी क्षेत्र के साथ अन्याय और उत्तराखंड के मूल भावना के साथ छेड़छाड़ करने के समान है।
2. उत्तराखंड की परिस्थितियों में ग्रीष्म और शीत ऋतु में एक ही समय कहीं से भी उपयुक्त नहीं है। मैदानी क्षेत्रों में दोपहर 3:15 बजे तक बच्चों को विद्यालय में रोकना अत्यंत दुष्कर है और उनके स्वास्थ्य दृष्टि से भी उपयुक्त नहीं है। इसी प्रकार उपार्जित अवकाश के संबंध में अभी तक जो फाइनेंसियल हैंड बुक में नियम है, उसमें 1 कैलेंडर वर्ष में लगातार 15 दिन से अधिक कार्य करने पर ही 5/8 के अनुसार उपार्जित अवकाश दिया जाता है तो यह 12 दिन वो भी अलग-अलग के बदले कैसे उपार्जित अवकाश दे पाएंगे यह भी संदेहपूर्ण है। उपस्थित शिक्षकों ने ग्रीष्म अवकाश व शीतकालीन अवकाश को यथावत रखे जाने की मांग की
दीर्घ अवकाश अवधि को 20 और 12 विशेष परिस्थिति जन्य अवकाश में तोड़कर सदैव असमंजस की स्थिति बनी रहेगी और पूर्व से चली आ रही श्रेष्ठ व्यवस्था का चरमरा जाना अवश्यंभावी होगा।यदि उपार्जित अवकाश देना ही है तो अन्य कर्मचारियों के भांति शिक्षकों को भी पूर्ण उपार्जित अवकाश की व्यवस्था लागू हो।
3. त्रिस्तरीय कैडर व्यवस्था जिससे जनपद के अंतर्गत ही प्राथमिक शिक्षको के पद्दोन्नति के अवसर समाप्त किये जा रहे है।वैसे को प्राथमिक में 33 से 35 वर्ष सेवा करने के उपरान्त भी मात्र दो ही पदोन्नति होती आयीं हैं, वो भी अति दुष्कर हैं। सहायक अध्यापक प्राथमिक को पूरे सेवा काल में दो पदोन्नति क्रमशः प्राथमिक विद्यालय के प्रधानाध्यापक और जूनियर के सहायक अध्यापक का अवसर बेमुश्किल प्राप्त हो रहा है और जूनियर विद्यालय में मात्र 1% की दर से ही पदोन्नति संभव हो रही है, ऐसे में यदि त्रिस्तरीय LT में समायोजन की नीति लागू की जाती है, तब बेमुश्किल पदोन्नति का कम से कम एक ही अवसर प्रधानाध्यापक प्राथमिक विद्यालय रह जायेगा, इससे वर्तमान में कार्यरत और नव युवकों /बेरोजगारों को शिक्षक सेवा ज्यादा आकर्षित नहीं कर पायेगी। वहीं प्राथमिक शिक्षकों की “स्रोत संवर्ग ” क्या रहेगा।
प्राथमिक और उच्च प्राथमिक का स्रोत संवर्ग क्यारहेगा।
यदि PRT और TGT का स्रोत संवर्ग समान रहेगा तो त्रिस्तरीय का औचित्य क्या है? यदि अलग स्रोत संवर्ग अलग रहेगा तो प्राथमिक के शिक्षकों को यह व्यवस्था किसी भी रूप में स्वीकार नहीं होगी, इसके लिए चाहे प्राथमिक के शिक्षकों को अपनी लड़ाई सड़क पर ही क्यों न लड़नी पड़ी, वो अपने संघर्ष के स्वर्णिम इतिहास को याद करते हुए ये लड़ाई भी लड़ने को तैयार हैं।
इससे प्राथमिक शिक्षक को कोई लाभ नहीं होगा, संवर्ग परिवर्तन से प्राथमिक का कैडर जनपद से मण्डलीय हो जायेगा और प्राथमिक के शिक्षक को LT समायोजन की स्थिति में अपने मूल जनपद देहरादून से अन्यत्र जनपदों में जाने को मजबूर होना पड़ेगा, जिसका पुरजोर विरोध उत्तराखंड राज्य प्राथमिक संगठन करता है। विभाग प्राथमिक शिक्षकों के विभिन्न समस्याओं के प्रति गंभीर नहीं है, प्राथमिक शिक्षकों की प्रमुख मांगो में एक ₹17140 वेतन का मुद्दा जस का तस बना हुआ है। वहीं प्राथमिक के पारस्परिक स्थानांतरण पिछले तीन वर्षो से नहीं हुए है। प्राथमिक शिक्षकों की जूनियर प्रधानाध्यापक पदोन्नति देहरादून में जानबूझकर लटकाई जा रही है।
4. पद्दोन्नति फोरगो नियमावली। किसी भी कार्मिक को दो बार पद्दोन्नति के अवसर मिलना ही चाहिए। कोई कार्मिक यदि किसी कारण से एक बार पद्दोन्नति छोड़ता है तो उसे भविष्य में एक अवसर और मिलना चाहिए। इसके बाद ही फोरगो नियमावली के प्रावधान लागू होने चाहिए। पद्दोन्नति फोरगो नियमावली में संशोधन होना चाहिए संशोधन होने तक संगठन इसका विरोध करता है और शिक्षा विभाग को उत्तराखंड गठन से लेकर वर्तमान में बनायी जा रही प्रयोगशाला को शीघ्रता से बंद करने और विभाग के NGO के हाथों में अपनी दीवानी को सौंप देने के निर्णय के साथ पठन-पाठन के कार्यों को छोड़ कर ऑनलाइन सूचना के जाल में फ़साने के कुचक्र से यदि विभाग शिक्षकों को राहत नहीं देता है, तो ऐसे में विपरीत परिस्थिति के वश के चलते प्राथमिक शिक्षकों को विद्यालय छोड़कर आंदोलन की राह पकड़ने को सरकार जिम्मेदार होगी।
आगामी सप्ताह उत्तराखंड राज्य के सभी ब्लॉक, जनपद इन बिंदुओ पर विचार करने हेतु छोटी छोटी गोष्टी करेंगे और शीघ्र ही एक रणनीति बना कर, योजनानुसार उपरोक्त विषयों सहित प्रचण्ड विरोध करेगी।
बैठक में जिला संरक्षक शशि दिवाकर उपाध्यक्ष,प्रांतीय तदर्थ समिति के सदस्य देवेश डोभाल, सतीश करवाण, अरविंद सोलंकी,मनीष कम्बोज, उपमंत्री पीतांबर तोमर, विकासनगर ब्लॉक मंत्री कमल सुयाल, कोषाध्यक्ष मधु पटवाल,
जिला सहकारी समिति के संचालक कुलदीप तोमर, जिला खेल समन्वयक लेखराज तोमर,सचिन त्यागी,मुकेश बिष्ट,सिद्धार्थ शर्मा,दिलीप कुमार, अरविंद थपलियाल, अनुराग चौहान, लक्ष्मण, होशियार पुंडीर, संतोष, मंजीत,योगेश गुप्ता, ब्रह्मपाल, सुरजीत सिंह, सत्यजीत सिंह, बलबीर पंवार, हरीश जोशी, अनिल गुसांईं,परविन्द रावत, उदित शाह, दिनेश, खुशी राम, अज्जू चौहान इत्यादि शामिल रहे