Water Conservation: सेवा के मंदिर ने समझी वर्षा की हर बूंद की अहमियत, बनाए हैं जल संरक्षण टैंक
जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता अतः पानी की कमी को पूरा करने के लिये पानी का संरक्षण आवश्यक है। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 350 मिलियन क्यूबिक मील पानी है। इसमें से 97 प्रतिशत भाग समुद्र से घिरा हुआ है। संसार के प्रत्येक प्राणी का जीवन आधार जल ही है। शायद ही ऐसा कोई प्राणी हो जिसे जल की आवश्यकता न हो।
पानी का इस्तेमाल करते हुए हम पानी की बचत के बारे में जरा भी नहीं सोचते हैं। परिणामस्वरूप अधिकांश जगहों पर जल संकट की स्थिति पैदा हो चुकी है। यदि हम अपनी आदतों में थोड़ा-सा भी बदलाव कर लें तो पानी की बर्बादी को रोका जा सकता है। बस आवश्यकता है दृढ़संकल्प करने की तथा उस पर गंभीरता से अमल करने की, क्योंकि जल है तो हमारा भविष्य है। इसलिए यदि हम पानी की बचत करते हैं तो यह भी जल संग्रह का ही एक रूप है।आज हम आपको स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के अधीन संचालित हिमालयन इंस्टीट्यूट हास्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) का वर्षा जल संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास के बारे में बताएंगे।
संस्था का योगदान सराहनीय।
स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय (एसआरएचयू) के अधीन संचालित हिमालयन इंस्टीट्यूट हास्पिटल ट्रस्ट (एचआइएचटी) का वर्षा जल संरक्षण के किए गए प्रयास अतुलनीय है। वर्षा जल संरक्षण के लिए यह संस्था लगातार अपना काम पूरी निष्ठा से कर रही है। जल बचाव हेतु संस्था की ओर से एसआरएचयू परिसर में लगभग 50 लाख की लागत से 12 रेन वाटर हार्वेस्टिंग रिचार्ज पिट बनाए गए हैं। इसमें एक वर्ष में लगभग 40 करोड़ लीटर वर्षा जल जमा किया जाता है।
एकत्रित जल का होता है शोधन।
जल का शोधन वह प्रक्रिया है जिसमें जल से अवांछित रसायन, जैविक अशुद्धियाँ, घुले हुए ठोस, और गैसें आदि निकाली जातीं हैं। जल शोधन का लक्ष्य किसी कार्य विशेष के लिए जल को संसाधित करके उस कार्य के लिए उपयुक्त बनाना है। संस्था भी जमा जल को शोधित करके अलग-अलग कामों में इसका उपयोग करती है। अभी यह जल परिसर में सिंचाई व बागवानी के उपयोग में लाया जा रहा है। भविष्य में इस प्लांट की क्षमता बढ़ाकर शोधित जल को शौचालय में भी इस्तेमाल किया जाने का लक्ष्य है।
संस्था का उद्देश्य बाहर भी पहुँचे लाभ ।
संस्था का उद्देश्य है कि जल को परिसर के बाहर भी भेज के अन्य लोगों तक भी इसका लाभ पहुँचाया जाए। इसके लिए संस्था ने परिसर से बाहर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश व ओडिशा के 534 गांवों में स्वच्छ पेयजल व स्वच्छता योजनाओं का निर्माण करवाया है। इन कार्यों को देखते हुए केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय ने एचआइएचटी की सराहना की है और संस्था को राष्ट्रीय जल जीवन मिशन की ‘हर घर जल योजना’ का सेक्टर पार्टनर के रुप में अपनाया है।
वर्षों से इस क्षेत्र में काम है शुरू।
एचआइएचटी की टीम वर्षों से इस काम को बखूबी कर रही है ।जल का संचय के लिए इनका काम अत्यंत ही कल्याणकारी है।
एसआरएचयू के कुलपति डा. विजय धस्माना का कहना है कि आज जल हर मानव के लिए जरूरी है। जरूरत है कि इसे भविष्य में सुरक्षित कैसे रखा जाए। भविष्य के लिए इसका संरक्षण करना अत्यंत ही जरूरी है ।जिससे आने वाली पीढ़ियों को परेशानी न झेलनी पड़े।
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