उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने देर रात देहरादून में राजभवन पहुंचकर राज्यपाल बेबी रानी मौर्या को अपना त्यागपत्र सौंपा । राज्य में अगले मुख्यमंत्री के चुने जाने तक वे कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे । इस्तीफा देने के बाद रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा को धन्यवाद दिया।
इस्तीफे के पीछे क्या है वजह ?
पौड़ी से लोकसभा सांसद तीरथ सिंह रावत ने इसी साल 10 मार्च को मुख्यमंत्री का पद संभाला था। सीएम बने रहने के लिए उनका 10 सितम्बर तक विधानसभा सदस्य चुना जाना संवैधानिक तौर पर अनिवार्य था, लेकिन उन्होंने बीजेपी अध्यक्ष को भेजे पत्र में जनप्रतिधित्व कानून की धारा 191 ए का हवाला देते हुए कहा था कि वे अगले 6 महीने में विधायक के तौर पर चुनकर नहीं आ सकते ।इन हालात में उनका पद से इस्तीफा देना ही एकमात्र रास्ता रह गया था। राज्य में किसी भी तरह का संवैधानिक संकट न पैदा हो, इस कारण वह इस्तीफा देना चाहते थे।
मार्च में संभाला था जिम्मेदारी।
तीरथ सिंह रावत मार्च में ही मुख्यमंत्री बने थे । पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की जगह उन्होंने ली थी । त्रिवेंद्र सिंह रावत का उनकी पार्टी में विरोध हो रहा था, जिसके बाद केंद्रीय नेतृत्व ने CM बदलने का फैसला किया था। त्रिवेंद्र सिंह रावत करीब चार साल तक राज्य की कमान संभाले रहे। जब तीरथ सिंह रावत को सीएम बनाया गया तो हर कोई चौंक गया क्योंकि वह सीएम की रेस में नहीं थे । तीरथ सिंह रावत पौड़ी लोकसभा से सांसद हैं। मुख्यमंत्री बनने के बाद 10 सितंबर तक उन्हें विधानसभा का चुनाव जीतना था।
उत्तराखंड में मौजूदा सीएम को बदले जाने का इतिहास।
2000 में उत्तर प्रदेश से पहाड़ी राज्य के गठन के बाद से, राज्य में शासन करने वाली बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अक्सर अपने सीएम चेहरे बदले हैं, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें अगले चुनाव में चुनावी हार का सामना करना पड़ा है। राज्य के पहले सीएम नित्यानंद स्वामी को 2002 में भगत सिंह कोश्यारी के साथ बदल दिया गया था। फिर कांग्रेस ने सत्ता में आने पर, नारायण दत्त तिवारी को चुना – जिन्होंने अपना पूरा कार्यकाल पूरा किया था। 2007, 2009 और 2011 में बीजेपी के दो सीएम भुवन चंद्र खंडूरी और रमेश पोखरियाल थे। इसी तरह, 2013 के केदारनाथ बाढ़ के बाद, कांग्रेस ने सीएम विजय बहुगुणा की जगह हरीश रावत को दे दी थी जिससे उन्हें 2017 में हार का सामना करना पड़ा। उत्तराखंड में 2022 में फिर से चुनाव होने जा रहा है।