श्रावण में शिव की साधना काफी पुण्यदायी और कल्याणकारी मानी गई हैं। इसी कामना को लिए शिव भक्त लंबी दूरी तय करे पावन शिवधाम पहुंचते हैं और उनका विभिन्न चीजें से अभिषेक करते हैं। शिव की लीलाओं की तरह उनकी महिमा भी अपरंपार है। शिवलिंग की तरह भगवान शिव की साधना के लिए उनके कई रूप जाते हैं, जिनकी पूजा करने पर अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है।
सनातन परंपरा के ज्ञान शून्य अवस्था में प्रत्येक व्यक्ति को पशु के समान माना गया है और भगवान शिव हमें ज्ञान देने वाले और अज्ञान से बचाने वाले देवता हैं। यही कारण है कि उन्हें पशुपति नाथ कहा जाता है।
भगवान शिव का नाम मृत्युंजय ।
कहते हैं कि मृत्यु पर कोई विजय नहीं पा सकता है लेकिन भगवान शिव ने समुद्र मंथन के दौरान विष पीकर मृत्यु पर विजय पाई थी, इसीलिए वे मृत्युंजय कहलाए। आज भी जब कभी भी लोगों पर मृत्यु तुल्य संकट आता है तो लोग विशेष रूप से महामृत्युंजय का पाठ करवाते हैं। महामृत्युंजय मंत्र का जाप अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति दिलाता है। माना जाता है कि इस मंत्र के जाप से बड़ा से बड़ा रोग भी सही हो जाता है। स्नान करते समय इस मंत्र को बोलने से आरोग्यता प्राप्त होती है। इस मंत्र का जाप अत्यंत लाभप्रद होता है।
जाप के समय रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल।
महामृत्युंजय मंत्र का जाप सोमवार के दिन या फिर प्रदोष के दिन करना चाहिए क्योंकि ये दोनों ही दिन भगवान शिव के हैं और इस दिन मंत्र जाप करने से विशेष लाभ मिलता है। जाप करते समय रुद्राक्ष की माला से ही जाप करें क्योंकि संख्याहीन जाप का फल प्राप्त नहीं होता है। इस मंत्र का जाप करते समय शिवजी की प्रतिमा, तस्वीर, शिवलिंग या महामृत्युंजय यंत्र को अपने पास अवश्य रखें।
अच्छे स्वास्थ्य के लिए जाप जरूरी।
भले ही आपका स्वास्थ अच्छा हो मगर, आपको रोज सुबह 2 से 4 के बीच इस मंत्र का जाप करना चाहिए। जाहिर है आजकल की लाइफस्टाइल इस बात की इजाजत नहीं देती। ऐसे में आप सुबह आराम से उठ कर स्नान करके साफ कपड़े पहन कर रुद्राक्ष की माला ले कर इस मंत्र का जाप करें। इससे आपका स्वास्थ ठीक बना रहेगा। आप ऐसा किसी और के लिए भी कर सकती हैं। इसके लिए आपको उसके नाम का संकल्प लेना होगा।
महामृत्यंजय मंत्र इस प्रकार है।
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।