मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार में अगले साल होने वाले यूपी विधानसभा चुनावों पर ज्यादा ध्यान दिया गया है। यूपी से सबसे ज्यादा सात नेताओं का नाम शामिल है। प्रदेश के 7 सांसदों को नए मंत्रिमंडल में जगह दी गई है। इनमें 6 लोकसभा के सदस्य हैं तो वहीं एक राज्यसभा के भी सदस्य शामिल हैं।ओबीसी और एससी पर भी ध्यान दिया गया है।
इन नए चेहरों को मौका।
नए चेहरों में आगरा से सांसद एसपी सिंह बघेल, लखीमपुर खीरी से सांसद अजय मिश्र टेनी, राज्यसभा सांसद बीएल वर्मा, मोहनलालगंज से सांसद कौशल किशोर, जालौन से सांसद भानु प्रताप सिंह वर्मा, बीजेपी की सहयोगी अपना दल की मिर्जापुर की सांसद अनुप्रिया पटेल, महाराजगंज से छठी बार सांसद बने पंकज चौधरी का नाम शामिल है। विस्तार में चुनाव से पहले जातीय और क्षेत्रीय समीकरणों को साधने की कोशिश की गई है।
इन मंत्रियों की हुई छुट्टी।
मोदी सरकार के 43 मंत्रियों के शपथ के साथ-साथ कई पुराने और महत्वपूर्ण चेहरे अब इस मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं हैं। शपथ ग्रहण से कुछ घंटे पहले ही देश के स्वास्थ्य, शिक्षा, पर्यावरण और सूचना एवं प्राद्योगिकी मंत्रियों की छुट्टी कर दी गई है। मोदी सरकार के कुल 12 मंत्रियों को उनके पद से हटाया गया है।
कोविड महामारी के दौरान भारत के स्वास्थ्य मंत्रालय संभाल रहे हर्षवर्धन को अपना पद छोड़ना पड़ा है। पीएम मोदी ने पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर की भी छुट्टी कर दी है। मोदी कैबिनेट विस्तार के दौरान शिक्षा मंत्री की भी छुट्टी कर दी गई है। उत्तराखंड से आने वाले रमेश पोखरियाल निशंक के कार्यकाल में ही भारत की नई शिक्षा नीति लागू की गई है। तो वही कानून और सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद को हटाने पीछे ट्विटर विवाद को भी देखा जा रहा है।
कुछ माह पूर्व यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार की खुली आलोचना करने वाले संतोष गंगवार को भी पद से हाथ धोना पड़ा है।
इन मंत्रियों की भी हुई छुट्टी ।
पश्चिम बंगाल से आने वाले बाबुल सुप्रियो को की भी छुट्टी कर दी गई। माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में पार्टी के ख़राब प्रदर्शन के कारण उन्हें हटाया गया है। इनके अलावा थावरचंद गहलोत (सामाजिक न्याय मंत्री), सदानंद गौड़ा (उर्वरक और रसायन मंत्री) संजय धोत्रे (शिक्षा राज्य मंत्री), देबोश्री चौधरी (महिला बाल विकास मंत्री), प्रताप सारंगी और रतन लाल कटारिया को भी पद से हटा दिया गया है।
बड़े नामों पर गिरी गाज ।
चार बड़े कैबिनेट मंत्रियों की छुट्टी पीएम मोदी का सबसे बड़ा चौंकाने वाला फ़ैसला है। इसको लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। मंत्रिपरिषद में विस्तार और फेरबदल से पहले इस बात की चर्चा थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृह मंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को साथ लेकर मंत्रियों के कामकाज की समीक्षा कर रहे हैं और कामकाज के आधार पर ही यह फ़ैसला किया जाएगा कि किस की छुट्टी होनी है, किसके पर कतरे जाने हैं और किसे तरक़्क़ी देनी है। इसी को।लेकर कई बड़े नामों पर गाज गिरी है।
आठ मंत्रियों की तरक़्की।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने मंत्रियों की दो साल की परफॉर्मेंस देखकर सिर्फ़ 8 को ही तरक्की के लायक पाया। अपने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत को मंत्रिमंडल से हटा कर सीधा कर्नाटक का गवर्नर बना दिया। इस मायने में यह थावरचंद गहलोत की यह बड़ी तरक़्क़ी है। 7 राज्य मंत्रियों को तरक़्क़ी देकर कैबिनेट मंत्री बनाया गया है। इसका मतलब यह है कि मोदी इनके कामकाज से खुश हैं। इनमें किरण रिजिजू, अनुराग ठाकुर, हरदीप पुरी, पुरुषोत्तम रुपाला, मनसुख मांडवीया, जी किशन रेड्डी और आर के सिंह शामिल हैं।
मंत्रिपरिषद की महिला शक्ति।
मंत्रिपरिषद के विस्तार का सबसे बड़ा आकर्षण साथ में महिला मंत्रियों की शपथ का रहा। मोदी की मंत्रिपरिषद में अब कुल 11 महिलाएँ हो गई हैं। 78 सदस्यों वाली मंत्रिपरिषद में 11 महिला मंत्रियों का मतलब 14 फ़ीसदी हिस्सेदारी महिलाओं को दी गई है। इससे पहले किसी भी केंद्रीय मंत्रिपरिषद में इतनी बड़ी संख्या में महिला मंत्री नहीं रही हैं। इस लिहाज़ से आज देखा जाए तो महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाया गया यह एक बड़ा क़दम है।
यूपी पर ख़ास नजर
उत्तर प्रदेश मोदी और योगी दोनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है लिहाजा मंत्रिपरिषद के विस्तार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर प्रदेश को खास तवज्जो दी है। यूपी से इस विस्तार में 7 मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनमें एक अजय मिश्रा को छोड़कर बाक़ी सब दलित और पिछड़े वर्ग से आते हैं। क्षेत्रीय संतुलन का भी ख़ास ध्यान रखा गया है। पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल जहाँ पूर्वांचल से आते हैं वहीं कौशल किशोर और अजय मिश्रा अवध क्षेत्र से हैं। भानु प्रताप वर्मा बुंदेलखंड और बीएल वर्मा रोहिलखंड से और एसपी सिंह बघेल पश्चिम उत्तर प्रदेश से। यूपी में बीजेपी को समाजवादी पार्टी और बीएसपी से टक्कर है। लिहाज़ा इनके आधार वोट में सेंधमारी के लिए बीजेपी ने दलित-पिछड़े वर्ग को ख़ास तवज्जो देकर मंत्रिपरिषद में जगह दी है।