पेड़ पौधे इंसान के लिए उतने ही ज़रूरी हैं जितने हवा और पानी। लेकिन इंसानी बस्तियां इन्हें काटकर ही बसाई जाती हैं।इंसान इसकी भारी क़ीमत चुका भी रहा है। उसे प्रदूषण के साथ जीना पड़ रहा है। अनगिनत बीमारियां गले पड़ रही हैं। लेकिन अब इंसान को अपनी ग़लती का एहसास हो गया है। नए पेड़ पौधे लगाकर वो अब क़ुदरत का क़र्ज़ उतार रहा है।
साथ ही शहरों का प्रदूषण कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है।दिल्ली हो, लंदन हो या पेरिस, दुनिया के तमाम शहरों में हरियाली बढ़ाने पर ज़ोर दिया जा रहा है। आज हम आपको मुंबई में रहने वाले ‘ग्रीन वॉरियर’ धर्मेंद्र कर के बारे में बताएंगे जो पर्यावरण के प्रति अपना हर उत्तरदायित्व निभा रहे हैं।
पर्यावरण के प्रति धर्मेंद्र का योगदान।

धर्मेंद्र, मूल रूप से ओडिशा के जाजपुर ब्लॉक के रहने वाले हैं।
पर अभी वो नवी मुंबई में रहते है। ‘ग्रीन वॉरियर’ धर्मेंद्र कर, पर्यावरण के प्रति अपना हर उत्तरदायित्व निभा रहे हैं। उन्होंने अनोखा ‘कॉन्सेप्ट’ शुरू किया है, जिसके अंतर्गत वह न सिर्फ खुद समाज तथा पर्यावरण में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं बल्कि दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
बचपन से ही पर्यावरण पे काम किया।
टेक महिंद्रा कंपनी में बतौर डाटा साइंटिस्ट काम कर रहे धर्मेंद्र बचपन से ही प्रकृति के बीच पले-बढ़े है। धर्मेंद्र लगभग 20 सालों से अपने इस उत्तरदायित्व को निभाने में जुटे हुए हैं। अपनी नौकरी और घर-परिवार की जिम्मेदारियों को संभालते हुए, वह लगातार पर्यावरण के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने न सिर्फ मुंबई में बल्कि ओडिशा में अपने ब्लॉक में भी बड़े स्तर पर काम किया है। हर साल बारिश के मौसम से पहले 15-20 दिन की छुट्टियां लेकर, वह अपने घर जाते है और वहां लोगों के साथ मिलकर पौधारोपण करते है।
5000 से अधिक पौधे लगा चुके है धर्मेंद्र।

धर्मेंद्र अपने गाँव और आसपास के इलाकों में, पिछले 20 सालों से लगातार पौधारोपण कर रहे हैं।उन्होंने अब तक ओडिशा में पांच हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाए हैं। उनके लगाए लगभग सभी पेड़ सही-सलामत हैं।उनका कहना है कि पौधे लगाने का फायदा तभी है, जब आप उनकी पूरी देखभाल करें। अगर पौधे लगाकर आप उनकी देखभाल ही न करें और वे सूख जाएं तो इसका कोई फायदा नहीं। इसलिए वह जहाँ भी जाते हैं, बाकी लोगों को भी प्रकृति के प्रति जागरूक और संवेदनशील बनाते हैं। वह खासकर युवाओं को इस काम से जोड़ रहे हैं ताकि आने वाले समय में, वे पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियां अच्छे से निभाएं।
मुंबई में भी पौधारोपण की शुरुआत की।
उन्होंने साल 2016 में खारघर, नवी मुंबई में पौधारोपण अभियान शुरू किया और साल 2020 तक, उन्होंने यहाँ तीन हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगाएं हैं। वह अब नियमित रूप से इन पेड़-पौधों की देखभाल करते हैं और इस साल के पौधारोपण अभियान की तैयारियों में जुटे हुए हैं।
झील को दी नयी जिंदगी ।

पौधारोपण के अलावा, उन्होंने खारघर झील को पुनर्जीवित करने में भी अहम भूमिका निभाई है। वह 2018 में ‘दादर बीच क्लीनिंग ड्राइव’ में गए थे। जहां उन्होंने समुद्र तट की साफ-सफाई की। उन्होंने खारघर झील पर ध्यान देना शुरू किया। यहाँ की हालत बहुत ही खराब थी। झील के किनारे लोगों ने कूड़े का ढेर लगा दिया था। लेकिन, जब उन्होंने सफाई शुरू की तो और भी कई लोग उनका हाथ बंटाने के लिए, आगे आने लगे। उनकी मेहनत को देखकर, इलाके के नगर निगम कर्मचारी भी उनसे काफी प्रभावित हुए। झील की सफाई के साथ-साथ उन्होंने वहा पौधारोपण भी किया। साथ ही, लोगों से यहाँ कचरा न फेंकने की गुजारिश की।उनके इस काम को जल मंत्रालय द्वारा भी सराहना मिली है और धर्मेंद्र को ‘वाटर हीरो 2020’ पुरस्कार से नवाजा गया।
बहुत से लोग जुड़े हुए है धर्मेंद्र से।

देशभर से, उनके जैसी सोच रखने वाले बहुत से लोग उनसे जुड़े हुए हैं। इन लोगों को साथ में लेकर उन्होंने एक ‘सुपर 30’ टीम बनाई है ताकि अलग-अलग जगह, लोग इस तरह के अभियान शुरू कर सकें। धर्मेंद्र इन सभी कार्यों के लिए, हर महीने अपनी कमाई का 20% हिस्सा लगाते हैं। आज धर्मन्द्र जैसे आदमी की समाज में जरूरत है। धर्मन्द्र आज सभी लोगों के लिए प्रेरणाश्रोत है।