हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवडिये सुदूर स्थानों से आकर गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर पदयात्रा करके अपने गांव वापस लौटते हैं । श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से अपने निवास के आसपास शिव मंदिरों में शिव का अभिषेक किया जाता है। कहने को तो ये धार्मिक आयोजन भर है, लेकिन इसके सामाजिक सरोकार भी हैं। कोरोना के कारण सरकार को लगातार दूसरे वर्ष भी कांवड़ यात्रा स्थगित करनी पड़ी है। अब सरकार के सामने मुख्य चुनौती कांवड़ यात्रा की अवधि के दौरान दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं को रोकने की भी है।
सरकार ने भीड़ को देखते हुए उठाया कदम।
उत्तराखंड सरकार ने मंगलवार को कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और मुख्य सचिव डॉ एसएस संधु, पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की यहां राज्य सचिवालय में कांवड़ यात्रा के संबंध में हुई एक बैठक में यह निर्णय किया गया। बैठक के बाद मुख्यमंत्री धामी ने संवाददाताओं को बताया, ‘‘हरिद्वार को हम कोरोना वायरस महामारी का केंद्र नहीं बनाना चाहते और लोगों का जीवन हमारे लिए प्राथमिकता है जिससे हम खिलवाड़ नहीं कर सकते।’’ धामी ने कहा कि पड़ोसी राज्यों के अधिकारियों से बातचीत करने के बाद यह निर्णय किया गया है।
दूसरे राज्यों से आ रहे श्रद्धालु सरकार के लिए चुनौती।
दूसरे राज्यों के कांवड़िए सरकार के लिए चुनौती बन सकते है। सरकार ने लोगों से न आने की अपील की हैं । क्योंकि महामारी के इस दौर में लोगों का जीवन बचाना ज्यादा जरूरी है। कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रकोप के दौरान हरिद्वार कुंभ को लेकर प्रदेश सरकार को खासी किरकिरी झेलनी पड़ी थी और ऐसा माना जा रहा है कि अगले साल की शुरूआत में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले सरकार ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहती जिससे उसे फिर फजीहत झेलनी पड़े।
कोरोना के तीसरे लहर से निपटने के लिए भी तैयारी।
उत्तराखंड सरकार ने कोरोना के तीसरे रूप ‘डेल्टा प्लस’ के पाए जाने, कोविड की तीसरी लहर की आशंका और संक्रमण के दुष्प्रभावों के संबंध में गहन विचार-विमर्श किया गया। इस संबंध में विशेषज्ञों की राय पर भी विचार किया गया है। उत्तराखंड सरकार तीसरे लहर को देखते हुए कोई भी ऐसा कदम नही उठाना चाहती जिससे सरकार की बदनामी हो ।
लगातार दूसरें साल ऐसा कदम।
यह लगातार दूसरा साल है जब महामारी के कारण कांवड़ यात्रा का संचालन नहीं किया जा रहा है। भारतीय चिकित्सा संघ ने भी हाल में मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्रदेश और देश के हित में यात्रा को अनुमति न देने को कहा था। श्रावण माह से शुरू होने के साथ ही पखवाड़े भर चलने वाली कांवड़ यात्रा हर साल अगस्त के पहले सप्ताह तक चलती है और इस दौरान उत्तर प्रदेश, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली जैसे राज्यों से लाखों की संख्या में शिवभक्त गंगा जल लेने हरिद्वार आते हैं। गंगा जल से वे अपने गांवों के शिवालयों में भगवान शिव का अभिषेक करते हैं।
स्वास्थ्य की दृष्टि से सरकार का यह कदम कितना कारगर साबित होता है यह वक्त बताएगा।