Uttarakhand News

Keeping You Updated

News

अनंत में लीन मिल्खा सिंह: कोरोना ने देश से छीना फ्लाइंग सिख, 91 साल की उम्र में चंडीगढ़ में ली आखिरी सांस

Milkha Singh (Photo: Reuters)

फ्लाइंग सिख’ के नाम से मशहूर भारत के महान धावक मिल्खा सिंह का कल देर रात निधन हो गया । 91 वर्षीय मिल्खा सिंह को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था जहां गुरुवार को उनकी रिपोर्ट निगेटिव तो आ गई थी लेकिन कल उनकी हालत नाजुक हो गई और उन्होंने जिंदगी का साथ छोड़ दिया ।मिल्खा सिंह भारत के खेल इतिहास के सबसे सफल एथलीट थे । 5 दिन पहले उनकी पत्नी निर्मल कौर का भी पोस्ट कोविड कॉम्प्लिकेशंस के कारण निधन हो गया था।

मिल्खा का निजी जीवन।

मिल्खा सिंह ने भारतीय महिला वॉलीबॉल के पूर्व कप्तान निर्मल कौर से सन 1962 में विवाह किया। कौर से उनकी मुलाकात सन 1955 में श्री लंका में हुई थी। इनके तीन बेटियां और एक बेटा है। इनका बेटा जीव मिल्खा सिंह एक मशहूर गोल्फ खिलाडी है। सन 1999 में मिल्खा ने शहीद हवलदार बिक्रम सिंह के सात वर्षीय पुत्र को गोद लिया था। मिल्खा सम्प्रति में चंडीगढ़ शहर में रहते थे।

बचपन से ही दौड़ने में अव्वल मिल्खा।

मिल्खा सिंह का जन्म 20 नवम्बर 1929 गोविंदपुरा में एक सिख परिवार में हुआ था ।उनका बचपन बेहद कठिन दौर से गुजरा। भारत के विभाजन के बाद हुए दंगों में मिल्खा सिंह ने अपने मां-बाप और कई भाई-बहन को खो दिया ।उनके अंदर दौड़ने को लेकर एक जुनून बचपन से ही था । वो अपने घर से स्कूल और स्कूल से घर की 10 किलोमीटर की दूरी दौड़ कर पूरी करते थे।

सेना में भी रहे मिल्खा।

मिल्खा को खेल और देश से बहुत लगाव था, इस वजह से विभाजन के बाद भारत भाग आए और भारतीय सेना में शामिल हो गए। कुछ वक्त सेना में रहे लेकिन खेल की तरफ झुकाव होने की वजह से उन्होंने क्रॉस कंट्री दौड़ में हिस्सा लिया। इसमें 400 से ज्यादा सैनिकों ने दौड़ लगाई। मिल्खा 6वें नंबर पर आए।

इस तरह मिला फ्लाइंग सिख नाम।

मिल्खा सिंह पाकिस्तान में आयोजित एक दौड़ के लिए गए। इसमें उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन को देखकर पाकिस्तान के जनरल अयूब खान ने उन्हें ‘द फ्लाइंग सिख’ नाम दिया ।

भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया ।

मिल्खा 1956 में मेलबर्न में आयोजित ओलिंपिक खेल में भाग लिया। वहां वो कुछ खास नहीं कर पाए, लेकिन आगे की स्पर्धाओं के रास्ते खोल दिए। 1958 में कटक में आयोजित नेशनल गेम्स में 200 और 400 मीटर में कई रिकॉर्ड बनाए। इसी साल टोक्यो में आयोजित एशियाई खेलों में 200 मीटर, 400 मीटर की स्पर्धाओं और राष्ट्रमंडल में 400 मीटर की रेस में स्वर्ण पदक जीते। उनकी सफलता को देखते हुए, भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया।

देश ने एक महान धावक को खोया।

भारत ने एक ऐसा महान खिलाड़ी खो दिया, जिनके जीवन से उदीयमान खिलाड़ियों को प्रेरणा मिलती रहेगी । मिल्खा सिंह के निधन से एक महान खिलाड़ी का अंत हो गया। जिनका असंख्य भारतीयों के ह्रदय में विशेष स्थान था । अपने प्रेरक व्यक्तित्व से वे लाखों के चहेते थे । मिल्खा अब करोड़ो लोगों की प्रेरणा बन के उनके दिल में हमेशा विधमान रहेंगे।

Comments are closed.