उत्तरांचल के चमोली में समुद्रतल से 129995 फीट की ऊंचाई पर स्थित विश्व धरोहर फूलों की घाटी में 500 से अधिक प्रजाति के फूल अब खिलते है। लेकिन इन सब में हिमालयन क्वीन ब्लू पॉपी की एक अलग सी बात है। दरअसल यह फूल जापान का राष्ट्रीय फूल है इनदिनों यह फूल घाटी की शोभा बढ़ा रहा है। भारतीय ही नहीं विदेशी पर्यटक भी इस फूल के प्रति आकर्षक हो रहे है। इन विदेशी प्रयटकों को जापानियों की संख्या ज्यादा है।
जापानी पर्यटक को लुभाता है यह फूल।
यहां पर चमोली जिले में 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली घाटी हिमालयी जैव विविधता का बेहद ही अद्भतु खजाना है। दरअसल यहां पर दुनियाभर के दुर्लभ पक्षी, दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य, जीवजंतु और औषधीय वनस्पति आदि पाए जाते है ।यही वजह है कि फूलों की घाटी प्रकृति प्रेमियों और वनस्पति शास्त्रियों की पहली पसंद है। जापान में राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी से महक रही है। जिसके दीदार को बड़ी तादाद में विदेशी, खासकर की जापानी पर्यटक यहां पर पहुंचते है।
अपने राष्ट्रीय पुष्प को देखना अनूठा अनुभव।
फूलों की घाटी की सैर पर पहुंचने पर जापानी पर्यटक काफी उत्साहित होते है। उन्हें घाटी के अंदर अपने यहां के राष्ट्रीय पुष्प को देखना एक बेहद ही शानदार अऩुभव लगता है। पर अभी कोरोना के वजह से पिछले 2 सालों में विदेशी पर्यटकों के आने पे रोक है। आज बड़ी बात है कि ब्लू पॉपी आज घाटी में हिमालयन क्वीन का दर्जा प्राप्त कर चुका है।
ब्लू पॉपी का इतिहास।
वर्ष 1984 में तक घाटी में ब्लू पॉपी कही पर भी नजर नहीं आता था । इसी वर्ष में जापानी छात्र चो बकाम्बे फूलों पर शोध के लिए घाटी पहुंचा था। वह पहले भी घाटी के दीदार को आ चुका था और तब उसके मन में विचार आया था की जापान के राष्ट्रीय पुष्प ब्लू पॉपी को यहां पर उगाया जाए । इसीलिए वह ब्लू पॉपी के बीज को साथ लेकर आया, तीन साल के बाद 1987 में जब फिर से वापस लौटा तो पूरी घाटी में ब्लू पॉपू उगी हुई थी और उसकी रंगत बिखरी थी।
आप भी अगर उत्तरांचल के चमोली में जाए तो ब्लू पॉपी को देखना न भूलें।