उत्तराखंड

राज्यसभा के माननीय उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ में “हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का विमोचन किया।

राज्यसभा के माननीय उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ में “हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का विमोचन किया।

 राज्यसभा के माननीय उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ में “हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का विमोचन किया।

उत्तराखंड (देहरादून) सोमवार , 14 सितम्बर 2025

राज्यसभा के माननीय उपसभापति श्री हरिवंश नारायण सिंह ने मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ में “हरिवंश एक्सपेरिमेंट विद एडवोकेसी जर्नलिज़्म: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक का विमोचन किया।

अपने मुख्य वक्तव्य में श्री हरिवंश नारायण सिंह ने सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में पत्रकारिता की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि पत्रकारिता शिक्षा, लैंगिक समानता, पर्यावरण जागरूकता, स्वास्थ्य अभियानों और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देकर इन लक्ष्यों को साकार करने में सहायक है।

उन्होंने कहा, “पत्रकारिता केवल घटनाओं की रिपोर्टिंग नहीं है, बल्कि यह चेतना निर्माण, वंचितों को आवाज़ देने और असमानताओं को दूर करने का माध्यम है। तेजी से बदलती तकनीकी दुनिया में मुझे ऐल्विन टॉफलर के शब्द याद आते हैं—21वीं सदी के निरक्षर वे नहीं होंगे जो पढ़-लिख नहीं सकते, बल्कि वे होंगे जो बदलाव के साथ स्वयं को ढाल नहीं सकते। आज के पत्रकारों को केवल कहानीकार नहीं, बल्कि तकनीक के साथ तालमेल बैठाने वाले दक्ष पेशेवर बनना होगा।

उन्होंने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि वे चुनौतियों को अपनाएँ, अपने कौशल को निखारें और समाज में परिवर्तन लाने वाले अग्रदूत बनें।

सभा को संबोधित करते हुए मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ के कुलपति प्रो. (डॉ.) संजय श्रीवास्तव ने श्री हरिवंश नारायण सिंह जी के पत्रकारिता क्षेत्र में योगदान की सराहना की और कहा कि उनकी दूरदर्शी सोच ने एडवोकेसी पत्रकारिता को सामाजिक परिवर्तन का उत्प्रेरक सिद्ध किया है।

डॉ. श्रीवास्तव ने मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों की सामाजिक जिम्मेदारी निभाने की पहल का उल्लेख करते हुए बताया कि—“मानव रचना शैक्षणिक संस्थानों ने बढ़खल झील परियोजना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिसके माध्यम से सूख चुकी झील के जल स्तर को पुनर्जीवित किया गया। इसके अतिरिक्त हमने आसपास के दस गाँवों का संरक्षण लिया है ताकि क्षेत्रीय आर्थिक विकास को बढ़ावा दिया जा सके। इसके साथ ही समुदायों के उत्थान के लिए अनेक परियोजनाएँ और अभियान चलाए गए हैं।

इस अवसर पर श्री हरिवंश नारायण सिंह ने विद्यार्थियों के साथ संवादात्मक सत्र में भाग लिया और भारत में एडवोकेसी पत्रकारिता के विकास एवं प्रभाव पर गहन विचार साझा किए। उन्होंने फ्रांस की क्रांति जैसे ऐतिहासिक उदाहरणों का उदाहरण देकर बताया कि किस प्रकार नए विचारों ने समाजों को रूपांतरित किया और जनमानस को प्रभावित किया। इस सत्र का संचालन प्रसिद्ध उपन्यासकार और मीडिया सलाहकार नवीन चौधरी ने किया।

“सरोकार की पत्रकारिता: फ्रॉम एड्स टू एक्शन, वर्ड्स टू चेंज” पुस्तक, वरिष्ठ लेखक ए. एस. रघुनाथ द्वारा लिखी गई है। यह पुस्तक प्रतिष्ठित पत्रकारों, विज्ञापन, मार्केटिंग और मीडिया पेशेवरों द्वारा लिखे गए लेखों का संकलन है। इसमें यह संदेश दिया गया है कि जब पत्रकारिता को सरोकार, नैतिकता और तकनीकी अनुकूलनशीलता के साथ जोड़ा जाता है तो यह सामाजिक प्रगति और सतत विकास के लिए सबसे शक्तिशाली साधन बन जाती है।

कार्यक्रम का आयोजन पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग, स्कूल ऑफ मीडिया स्टडीज़ एंड ह्यूमैनिटीज़ द्वारा किया गया। कार्यक्रम का समापन डीन प्रो. (डॉ.) शिल्पी झा द्वारा आभार व्यक्त करने के साथ हुआ। उन्होंने सभी गणमान्य अतिथियों, प्रतिभागियों और योगदानकर्ताओं के प्रति आभार व्यक्त किया और मीडिया व संचार क्षेत्र में अनुसंधान एवं मूल्य-आधारित शिक्षा को प्रोत्साहित करने के मानव रचना इंटरनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ रिसर्च एंड स्टडीज़ के संकल्प को दोहराया।

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