लोकसभा चुनाव से पहले मनीष के कदम से कांग्रेस असहज, नई अटकलों ने पकड़ा जोर; पार्टी छोड़ने की Inside Story
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता मनीष खंडूड़ी का पार्टी छोड़ना जीत के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस को असहज कर गया है। माना जा रहा है कि उत्तराखंड की पांच लोकसभा सीट में से एक महत्वपूर्ण मानी जाने वाली गढ़वाल सीट पर टिकट की दावेदारी को चुनौती मिलने और मुख्य संगठन में अपेक्षित स्थान नहीं पाने से मनीष स्वयं को पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे थे। ऐसे में टिकट घोषित होने से पहले ही उन्होंने त्यागपत्र देना उचित समझा।
पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता मेजर जनरल (सेनि) भुवन चंद्र खंडूड़ी के पुत्र मनीष ने वर्ष 2019 में कांग्रेस में सम्मिलित होकर सभी को चौंका दिया था। कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी से नजदीकी संबंध के चलते फेसबुक की नौकरी छोड़कर मनीष ने कांग्रेस का दामन थामना उचित समझा। उनके इस कदम के बाद खंडूड़ी परिवार राजनीतिक खेमों में बंट गया था।
गढ़वाल संसदीय सीट कांग्रेस ने दिया था टिकट
कांग्रेस ने वर्ष 2019 में गढ़वाल संसदीय सीट से मनीष को टिकट दिया था। वर्ष 2014 में भुवन चंद्र खंडूड़ी ने इस सीट से जीत दर्ज की थी। उनके सांसद रहते ही उनके पुत्र को टिकट देने की कांग्रेस की इस रणनीति को वयोवृद्ध नेता खंडूड़ी की राजनीतिक विरासत के बहाने भाजपा की घेराबंदी के प्रयास के रूप में देखा गया।
पिता के राजनीतिक उत्तराधिकार नहीं बन सके मनीष
यह अलग बात है कि भाजपा ने इसके जवाब में पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी के ही राजनीतिक शिष्य तीरथ सिंह रावत को इस सीट से लोकसभा चुनाव में उतारा। तीरथ ने मतों के बड़े अंतर से मनीष को पराजित किया था। मनीष पिता के राजनीतिक उत्तराधिकारी नहीं बन सके। वयोवृद्ध नेता भुवन चंद्र खंडूड़ी की राजनीतिक विरासत उनकी पुत्री ऋतु खंडूड़ी भूषण संभाल रही है। ऋतु वर्तमान में विधानसभा अध्यक्ष हैं।
टिकट की दौड़ में थे शामिल
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में भी मनीष को गढ़वाल सीट से कांग्रेस के टिकट की दौड़ में सम्मिलित रहे। यद्यपि, पार्टी सूत्रों की मानें तो इस बार मनीष की दावेदारी को अपेक्षा के अनुरूप मजबूत नहीं आंका गया। टिकट तय नहीं होने के बावजूद गढ़वाल संसदीय क्षेत्र में पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल की सक्रियता को मनीष की दावेदारी को चुनौती के रूप में देखा गया। यद्यपि, वर्ष 2019 में मनीष को कांग्रेस में सम्मिलित कराने में गणेश गोदियाल की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी।
प्रीतम बोले, बड़े नेता के जाने से लगता ही है झटका
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस में आए मनीष वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पार्टी छोड़ गए। कांग्रेस के लिए यह किसी झटके से कम नहीं है। विशेष रूप से गढ़वाल संसदीय क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न कारणों से चर्चा में रहा। जोशीमठ में भूधंसाव तो पौड़ी जिले के यमकेश्वर क्षेत्र में वनंतरा रिजॉर्ट की महिला कर्मचारी की हत्या के प्रकरणों को कांग्रेस ने खूब तूल दिया है। इन मुद्दों को लेकर मनीष क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं। अब उनके जाने से कांग्रेस भी असहज नजर आ रही है।
फोन पर नहीं हो पाया मनीष से संपर्क
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि उन्होंने मनीष से फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया, लेकिन हो नहीं पाया। उन्होंने कहा कि मनीष के पार्टी से जाने के पीछे कोई व्यक्तिगत या पारिवारिक दबाव हो सकता है। वहीं कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि जब भी कोई बड़ा नेता पार्टी से जाता है तो झटका लगना स्वाभाविक है।
भाजपा का दामन थाम सकते हैं मनीष खंडूड़ी
कांग्रेस को अलविदा कहने वाले वरिष्ठ नेता मनीष खंडूड़ी अब भाजपा का दामन थाम सकते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने इसके संकेत दिए। उन्होंने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी के परिवार का एक और सदस्य भाजपा से जुड़ेगा तो उन्हें खुशी होगी।मनीष खंडूड़ी के कांग्रेस को बाय-बाय कहने के बाद राजनीतिक गलियारों में उनकी नई पारी को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
महेंद्र भट्ट ने कह दी ये बात
माना जा रहा है कि वह भाजपा में शामिल हो सकते हैं। शुक्रवार को जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मनीष वरिष्ठ नेता हैं। भाजपा ने उनके लिए अपने दरवाजे खुले रखे हैं। यदि वह आते हैं तो पार्टी उनका स्वागत करेगी। यदि पूर्व मुख्यमंत्री खंडूड़ी के पुत्र मनीष भी भाजपा से जुड़ते हैं तो उनके लिए यह खुशी की बात होगी।