बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और मिड-डे मील के लिए भेजी गई डिमांड में काफी अंतर,प्रधानाध्यापक सस्पेंड।
बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और मिड-डे मील के लिए भेजी गई डिमांड में काफी अंतर,प्रधानाध्यापक सस्पेंड।
बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और मिड-डे मील के लिए भेजी गई डिमांड में काफी अंतर,प्रधानाध्यापक सस्पेंड।
उत्तराखंड (देहरादून) शुक्रवार, 14 जून 2024
मिड-डे मील योजना भारत सरकार द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण योजना है, जिसका उद्देश्य सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है। इस योजना के तहत स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति के आधार पर भोजन की आपूर्ति की जाती है। बच्चों की पोषण स्थिति में सुधार के साथ-साथ उनकी स्कूल उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से इस योजना को लागू किया गया था।
21 फरवरी को जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष भंडारी ने विद्यालय का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बच्चों की वास्तविक उपस्थिति और मिड-डे मील के लिए भेजी गई डिमांड में काफी अंतर था। प्रधानाध्यापक अहसान अहमद पर आरोप है कि उन्होंने 21 फरवरी को मिड-डे मील का एसएमएस 98 बच्चों के लिए भेजा, जबकि मौके पर केवल 61 बच्चे उपस्थित थे। जब बाकी बच्चों के बारे में पूछा गया तो प्रधानाध्यापक ने कहा कि बच्चे घर चले गए हैं।
रैंडम चेकिंग के दौरान 20 फरवरी की उपस्थिति की जांच की गई तो पाया गया कि कक्षा तीन में 22 बच्चों की उपस्थिति थी, जबकि प्रधानाध्यापक ने 37 बच्चों की उपस्थिति दर्ज की थी। यही नहीं, अनुपस्थित बच्चों की लगातार उपस्थिति दर्ज की गई थी। जब अन्य शिक्षकों से इस बारे में पूछा गया तो पता चला कि प्रधानाध्यापक ने स्वयं बैठकर अनुपस्थिति दर्ज करने से इंकार कर दिया था।
मामले की जांच उप शिक्षा भगवानपुर द्वारा की गई थी। जांच रिपोर्ट मिलने के बाद प्रधानाध्यापक अहसान अहमद को सस्पेंड कर भगवानपुर कार्यालय में अटैच कर दिया गया। इस कार्रवाई से शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है और अन्य स्कूलों में भी इस प्रकार की गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी गई है।
इस प्रकार की घटनाएं समाज में न केवल शिक्षा प्रणाली की विश्वसनीयता को प्रभावित करती हैं, बल्कि बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण पर भी गंभीर असर डालती हैं। मिड-डे मील योजना का मुख्य उद्देश्य बच्चों को पौष्टिक भोजन प्रदान करना है, जिससे उनकी शारीरिक और मानसिक विकास में मदद मिल सके। जब इस प्रकार की गड़बड़ियां होती हैं, तो बच्चों का भविष्य खतरे में पड़ जाता है।
इस घटना से सबक लेते हुए, शिक्षा विभाग को मिड-डे मील योजना की निगरानी और निरीक्षण की प्रक्रिया को और सख्त बनाने की जरूरत है। नियमित निरीक्षण के साथ-साथ स्कूलों में बच्चों की वास्तविक उपस्थिति की जांच के लिए तकनीकी उपकरणों का उपयोग किया जाना चाहिए। इसके अलावा, प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों के लिए सख्त दिशानिर्देश और कड़ी सजा का प्रावधान किया जाना चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की गड़बड़ियां न हो सकें।
बच्चों के अधिकारों की सुरक्षा करना हम सभी की जिम्मेदारी है। बच्चों को शिक्षा और पोषण का अधिकार है, जिसे किसी भी स्थिति में बाधित नहीं किया जाना चाहिए। सरकार और समाज को मिलकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को उनके अधिकार पूर्ण रूप से मिलें और उन्हें एक सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्राप्त हो।