सरकार अपने वादों को न तोड़े, लोगों को बेघर न करे, मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा पत्र।
सरकार अपने वादों को न तोड़े, लोगों को बेघर न करे, मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा पत्र।

सरकार अपने वादों को न तोड़े, लोगों को बेघर न करे, मुख्य मंत्री पुष्कर सिंह धामी को लिखा पत्र।
उत्तराखंड (देहरादून) सोमवार, 09 जून 2025
आज शहर भर के बस्तियों से महिला प्रतिनिधि मुख्यमंत्री को अपने ही बयानों की याद दिलाते हुए सवाल उठाया कि जब उन्होंने 17 जनवरी को कहा था कि “भाजपा सरकार एक भी मलिन बस्ती को टूटने नहीं देगी,” अभी प्रशासन 873 मकानों को तोड़ने की कोशिश क्यों कर रहा है और आगे प्रस्तावित एलिवेटेड रोड के लिए हज़ारों मकानों को खतरे में क्यों डाल रहा है? देहरा ख़ास, कांठ बांग्ला, गांधीग्राम, सिंघल मंडी, हैप्पी एन्क्लेव, गब्बर बस्ती, चिड़ोवाली और अन्य क्षेत्र से आयी हुई महिलाएं रो रो कर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया। अपने ज्ञापन में प्रतिनिधियों ने कहा कि उच्च न्यायलय के आदेशों के बहाने लोगों को बेघर किया जा रहा है, लेकिन उन लोगों को नोटिस दिया जा रहा है जो नदी से दूर है, और नदी के बीच बने रेस्टोरेंट, होटल, सरकारी बिल्डिंग इत्यादि पर कोई भी कार्यवही नहीं दिखाई दे रही है। 24 मार्च 2025 को उच्च न्यायपीठ के न्यायपीठ ने खुद प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह बड़े रसूखदारों को बचा रहे हैं, फिर भी प्रशासन की भेदभावपूर्ण कार्यवाही जारी होती हुई दिखाई दे रही है। साथ साथ में प्रस्तावित “एलिवेटेड रोड” परियोजना से बस्तियों में आतंक फैला हुआ है। इस परियोजना पर 6200 करोड़ खर्च करने के बजाय उसी पैसे को सिग्नल ठीक करने पर, बसों को बढ़ाने पर और लोगों को घरों देने पर खर्च किया जाये जिससे दोनों यातायात की समस्या भी और बस्ती के सवाल का भी हल होगा।
पुलिस ने प्रतिनिधि मंडल को हाथी बड़कला में ही रोक दिया । महिलाओं ने इसपर भी सवाल उठाया कि प्रतिनिधि अपने मुख्यमंत्री के घर तक भी नहीं जा सकते हैं क्या?
प्रतिनिधि मंडल की और दिया गया ज्ञापन सलग्न। कार्यक्रम में सुनीता देवी, जनतुल, सरोज, शहीदा, सीमा, पप्पू, रमन इत्यादि शामिल रहे।
विषय: लोगों को बेघर न किया जाय।
हम आज शहर भर से प्रतिनिधि मंडल के रूप में इसलिए आपके घर पर आये क्योंकि हमारे घर अभी खतरे में हैं। अख़बारों के अनुसार 17 जनवरी को आपने कहा था कि “भाजपा सरकार देहरादून में एक भी मलिन बस्ती को नहीं उजड़ने देगी।” लेकिन तब से प्रशासन लगातार हमारे घरों को तोड़ने की कोशिश कर रहा है और हाल में 800 से ज्यादा मकानों को तोड़ने का नोटिस भी मिला है।
महोदय, लोगों को बेघर करने के लिए उच्च न्यायलय के आदेशों के बहाने बनाये जा रहे हैं जबकि वह आदेश सिर्फ और सिर्फ नदियों का बहाव में रूकावट को ले कर है। फिर भी प्रशासन उन लोगों को नोटिस दे रहे हैं जिनके मकान नदियों से दूर है और नदी के बीच बने रेस्टोरेंट, होटल, सरकारी बिल्डिंग इत्यादि पर कोई भी कार्यवही नहीं दिखाई दे रही है। उच्च न्यायालय ने खुद इस बात पर बार बार सवाल उठाये यहाँ तक कि 24 मार्च 2025 को न्यायपीठ ने प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह बड़े रसूखदारों को बचा रहे हैं। फिर भी प्रशासन की भेदभावपूर्ण कार्यवाही जारी होती हुई दिखाई दे रही है। सिर्फ बिजली और पानी के बिलों के आधार पर लोगों को नोटिस दिया जा है और मनमानी तरीकों से लोगों को बेघर करने का प्रयास चल रहा है।
इसके साथ साथ प्रस्तावित “एलिवेटेड रोड” परियोजना से हमारी बस्तियों में आतंक फैला हुआ है। इस परियोजना से हज़ारों घर भी जायेंगे, हज़ारों परिवार बेघर हो जाएंगे, और जिनको नहीं हटाया जायेगा, वह भी धूल, मिटटी और गर्मी से परेशान होने वाले हैं। इस परियोजना पर 6200 करोड़ खर्च करने के बजाय हमारे आपसे निवेदन है कि उसी पैसे को सिग्नल ठीक करने पर, बसों को बढ़ाने पर और लोगों को घरों देने पर खर्च किया जाये जिससे दोनों यातायात की समस्या भी और बस्ती का सवाल का भी हल होगा।
अतः हमारे आपसे विनम्र निवेदन है कि सरकार अपने वादों को पूरा करे, किसी को बेघर न करे, और प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द करे। अगर किसी को हटाना भी है तो उनका पुनर्वास एवं बाजार रेट पर मुआवज़ा के लिए सरकार व्यवस्था बनाये।