MAAsterG ने कहा कि मनुष्य जीवन में दुखों से छुटकारा पाने के लिए जन्म और मृत्यु के बीच के खेल को समझना जरूरी। उत्तराखंड (देहरादून) बुधवार
MAAsterG ने कहा कि मनुष्य जीवन में दुखों से छुटकारा पाने के लिए जन्म और मृत्यु के बीच के खेल को समझना जरूरी। उत्तराखंड (देहरादून) बुधवार

MAAsterG ने कहा कि मनुष्य जीवन में दुखों से छुटकारा पाने के लिए जन्म और मृत्यु के बीच के खेल को समझना जरूरी।
उत्तराखंड (देहरादून) बुधवार, 13 अगस्त 2025
मृत्यु के बीच के खेल को समझना जरूरी है । जब हम ये नहीं समझ पाते तो हमारे जीवन में दुख, अशांति, टेंशन और चिंता होती है । हमने सबसे पहली चूक क्या की ? मैंने इस शरीर को अपना मान लिया कि यह मेरा है । कभी ये नहीं जाना कि ये जन्म क्या है, मृत्यु क्या है, ये पूरा खेल क्या है! तो इस सारे खेल को भाग्य, प्रारब्ध, नसीब या किस्मत कहते हैं जो सब पहले से लिखा है । आज हमारे पास जो भी है हम उससे संतुष्ट नहीं होते और अनेक इच्छाएं रखते हैं । यही नहीं हम उन इच्छाओं पर गहरी पकड़ बना लेते हैं, यही इच्छा में आसक्ति रखना ही समस्या है । हर एक की अपनी किस्मत है और हम चाह कर भी इसे नहीं बदल सकते । तो फिर हमारे हाथ में क्या है ? हमारे हाथ में सिर्फ कर्म करना है । लेकिन हम सोचते हैं सब कुछ मेरे अनुसार चले, जब ऐसा होता है तो थोड़ी देर के लिए सुख आता है लेकिन फिर दुख आ जाता है । तो जो भी आपके पास है, आप अंदर से रिलैक्स में रहो । अगर आप दुखी होंगे तो फिर से इस जन्म-मृत्यु के चक्र में आ जाओगे । दुख ही आपका बद्कर्म बनाता है और आपको जन्म-मरण में लाता है । आप पांच मिनट से ज्यादा दुखी हुए तो आपका कर्म बन जाता है और यह कर्म अंदर लॉक या रिकॉर्ड हो जाता है और बद्कर्म बन जाता है । पर अगर मृत्यु से पहले आप इस खेल को समझ गए और अंदर से रिलैक्स में आ गए कि जो हो रहा है अच्छा हो रहा है, जो हुआ अच्छा हुआ और जो होगा अच्छा होगा, मुझे सब स्वीकार है; अंदर से दुखी नहीं होकर अपने पर किसी तरह की हिंसा नहीं करते जो महावीर स्वामी ने भी कहा और शांत हो जाते हो तो जीवन में किए गए सारे कर्म, जो दुखी होकर गलतियां की, वो भगवान द्वारा सब क्षमा कर दी जाती हैं । आप जब जीवन के इस सत् को जान लोगे तो ये दुख खत्म हो जाएगा ।
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