राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहा की सही सूचनाएँ ना मिलने पर अपील में ना केवल समय अपितु धन का व्यय भी होता है।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहा की सही सूचनाएँ ना मिलने पर अपील में ना केवल समय अपितु धन का व्यय भी होता है।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहा की सही सूचनाएँ ना मिलने पर अपील में ना केवल समय अपितु धन का व्यय भी होता है।
उत्तराखंड (देहरादून) शनिवार, 24 अगस्त 2024
आज प्रेम नगर कार्यालय में राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर राष्ट्रीय अध्यक्ष कुलदीप सिंह ललकार ने कहा की जम्मू कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में एक समान आर.टी.आई कानून लागू है और सभी सूचना आयुक्तो को एक समान शक्ति व एक समान कानून मिले है, तो उत्तराखंड में सूचना के अधिकार में बहुत कम सूचनाएँ मिल पा रही है। सही सूचनाएँ ना मिलने पर अपील में ना केवल समय अपितु धन का व्यय भी होता है। आर.टी.आई जो की गरीब को न्याय देने के उदेश्य से लागू की गई थी आज उसमें भी विसंगति आ गई है अब तो स्थिति ये है की सूचना आयोग में भी सूचनाएँ प्रदान नहीं की जा रही है, और धारा 23 का हवाला दे कर मामले को आकरण ही हाई कोर्ट भेजा जा रहा है जब की माननीय हाई कोर्ट में पहले ही अत्यधिक काम का दवाब रहता है। माननीय न्यायालय आपसी समझौते के आधार पर मामले निपटाने की प्रक्रिया में जोर डाल रहें है।
उत्तर प्रदेश में फरवरी में अधिकारीयों द्वारा सूचना ना देने पर आर.टी.आई अधिनियम 2005 की धारा 18(3) के प्रवधान और सिविल प्रक्रिया सहिता (1908) में दी गई शक्तियों का प्रयोग एक मामले में कर अनुकरणीय उदहारण पेश किया,जब इस धारा का प्रयोग उत्तर प्रदेश में हो सकता है, तो उत्तराखंड में क्यों नहीं।
मुख्यमंत्री हेल्पलाइन में आर.टी.आई कार्यकर्त्ता आपनी जान माल सुरक्षा व समाजिक मुद्दों को उठाने के लिये शिकायत करता है तो पुलिस प्रसासन ये लिख के खाना पूर्ति देता है की व्यक्ति आर.टी.आई के नाम पर धमका रहा है। ये युक्ति संगत नहीं है आर.टी.आई समाजिक व नागरिक जिम्मेदारी है जिससे केवल भ्र्ष्टाचार उजागर होता है जिससे केवल भ्र्ष्टाचार करने वाला ही घबरता है। वहीँ अगर कोई किसी को धमकाता है तो वह व्यक्ति कानूनी कार्यवाही के लिये स्वतंत्र होता है।
मुख्यमंत्री उत्तराखंड हेल्पलाइन में ऐसी झूठी जांच करने वाले अधिकारीयों पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए जब माननीय सर्वोच्च न्यायालय तक आर.टी.आई कार्यकर्त्ता की सुरक्षा हेतु पूर्व में आदेश व चिंता जता चुकी है और ग्रह मंत्रालय भारत सरकार भी आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा हेतु पूर्व में आदेश व जिओ सभी राज्यों को भेज चुके है तो आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ की सुरक्षा का विषय राज्य सरकार व पुलिस प्रसाशन का है की वह उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करें ना की बिना तथ्य हर मामले में जनता के आर.टी.आई एक्टिविस्ट के मौलिक अधिकार को कुचले।
कुछ मामलों में मुख्यमंत्री पोर्टल में शिकायत कर्ता देहरादून रहता है और उसे कर्ण प्रयाग चमोली का दर्शा कर धारा चौकी और नगर कोतवाली पुलिस ये रिपोर्ट बना कर डालती है की व्यक्ति आर.टी.आई के नाम पर धमकाता है। जब धारा चौकी व नगर कोतवाली देहरादून पुलिस का अधिकार क्षेत्र कर्ण प्रयाग और चमोली नहीं तो उन्होंने धमकाने वाली रिपोर्ट कैसे बना दी।
उत्तराखंड सूचना आयोग अधिकारीयों को सम्मानित करेगा और अधिकारीयों की कार्यशाला भी लगाएगा परन्तु नागरिकों के लिये कार्यशाला कब लगाएगा। भ्र्ष्टाचार को उजागर करने वाले आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ का सम्मान करना चाहिए था क्यों कि सूचना आयोग आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ व अधिकारीयों के बीच सेतुः के रूप में कार्य कर सवाद कायम करता है और ये एक अच्छी नाजिर होती।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के राष्ट्रीय महामंत्री वेद गुप्ता ने कहा कि आज आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ का उत्पीड़न करना आम हो गया है जब कि आर.टी.आई कार्यकर्त्ता भ्र्ष्टाचार को उजागर करते हुए जिम्मेदारी व जवाबदेही से कार्य करता है, तो वह बहुत लोगों कि ना पसंद बन जाता है आर.टी.आई कार्यकर्त्ता जब शासन प्रसाशन व पुलिस से शिकायत करता है तो आपनी जिम्मेदारी व जवाबदेही से बचने के लिये उसे शिकायत का आर.टी.आई के नाम पर धमकाने वाला दर्शा कर उसका उत्पीड़न किया जा रहा है जो कि कतई उचित नहीं है। किसी भी आर.टी.आई एक्टिविस्ट के साथ या उनके परिवार के साथ घटना होती है तो ये अधिकारी जिम्मेदार व जवाबदेह होंगे।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के उत्तराखंड अध्यक्ष राकेश भट्ट ने कहा की जन सरोकारों के लिये बिना वेतन कार्य कर आपनी जान कि परवाह ना करने वाले आर.टी.आई कार्यकर्त्ताओ का सम्मान ना करने के स्थान पर उत्पीड़न कर उनके मौलिक, मानवाधिकार व जीवन के अधिकार कि धारा 21 का हनन करने वालो पर कठोर कार्यवाही होनी चाहिए। मुख्य मंत्री हेल्पलाइन में झूठी व बे सिर पैर कि जाँच करने वालो पर भी कार्यवाही होनी चाहिए कि आखिर इतनी गैर जिम्मेदारना कार्य कर दूसरों के अधिकारों को कुचला जा रहा है।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के उत्तराखंड के महासचिव राकेश शर्मा ने कहा की आर.टी.आई एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी है जिससे केवल भ्र्ष्टाचार करने वाला ही भयभीत होता है ना कि अन्य।
राष्ट्रवादी आर.टी.आई एक्टिविस्ट एंड ह्यूमन राइट्स फेडरेसन भारत के प्रदेश कोषाध्यक्ष दीपक गुसांईं ने कहा कि आर.टी. आई कार्यकर्त्ता समाज कि रीढ़ है वह तो राष्ट्र व समाज का कवच है उनकी सुरक्षा राज्य सरकारों कि जिम्मेदारी व जवाब देही है।