माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में मामले निपटाने हेतु 25 पीठों का गठन किया गया।
माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में मामले निपटाने हेतु 25 पीठों का गठन किया गया।
माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार राष्ट्रीय लोक अदालत में मामले निपटाने हेतु 25 पीठों का गठन किया गया।
उत्तराखंड (देहरादून) शनिवार, 14 सितम्बर 2024
माननीय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून के तत्वावधान में दिनांक 14 सितम्बर, 2024 को प्रातः 10.00 बजे से सायं 05.00 बजे तक जिला मुख्यालय देहरादून, बाह्य न्यायालय ऋषिकेश, विकासनगर एवं डोईवाला जनपद देहरादून के न्यायालयों में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया गया। इस लोक अदालत में मोटर दुर्घटना क्लेम, सिविल मामले, पारिवारिक मामलें, चैक बाउन्स से सम्बंधित मामलें व अन्य शमनीय प्रकृति के आपराधिक मामलें लगाये गये थे। लोक अदालत में संदर्भित मामलों के निस्तारण हेतु जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा कुल 25 पीठों का गठन किया गया था। इस लोक अदालत में फौजदारी के शमनीय प्रकृति के 487 मामलें, चैक सम्बंधी 912 मामलें, धन वसूली सम्बंधी 23 मामलें, मोटर-दुर्घटना क्लेम ट्राईबुनल के 42 मामलें, पारिवारिक विवाद सम्बंधी 45 मामलें, मोटर वाहन द्वारा अपराधों के 2627 मामलें एवं अन्य सिविल प्रकृति के 74 मामलें कुल 4210 मामलों का निस्तारण किया गया तथा 20,33,80,865/- रू० की धनराशि पर समझौता हुआ। उक्त लोक अदालत में श्री प्रेम सिंह खिमाल, जिला न्यायाधीश, देहरादून की पीठ द्वारा कुल 80 मामले, श्री मनीष मिश्रा, प्रथम अपर जिला जज, देहरादून, देहरादून की पीठ द्वारा 26 मामले, श्री महेश चन्द्र कौशिवा, द्वितीय अपर जिला जज, देहरादून की पीठ द्वारा 24 मामले, श्रीमती प्रीतु शर्मा, अपर जिला जज/वाणिज्यिक न्यायालय, देहरादून की पीठ द्वारा 15 मामले, श्रीमती रिंकी साहनी, सिविल जज (एस० डी०) देहरादून की पीठ द्वारा 37 मामले, श्री धर्मेन्द्र शाह, पंचम अपर सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), देहरादून की पीठ द्वारा 325 मामले, श्री सचिन कुमार, षष्ठम अपर सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), देहरादून की पीठ द्वारा 277 मामले, श्री संजीव कुमार, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 472 मामले, श्री संदीप सिंह भंडारी, प्रथम, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 303 मामले, श्री कपिल कुमार त्यागी, द्वितीय, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 334 मामले, श्रीमती साहिस्ता बानो तृतीय, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 152 मामले, श्रीमती कल्पना, प्रथम, अपर सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग), देहरादून की पीठ द्वारा 122 मामले, श्रीमती भावना पाण्डेय, प्रथम, न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 215 मामलें, श्री प्रतीक कपिल, द्वितीय, न्यायिक मजिस्ट्रेट, देहरादून की पीठ द्वारा 632मामले, श्री मोहम्मद सुल्तान, कुटुम्ब न्यायालय, देहरादून की पीठ द्वारा 56 मामले निस्तारित किये गये। साथ ही बाह्य न्यायालय, विकासनगर में श्री नंदन सिंह, अपर जिला जज, विकासनगर, देहरादून की पीठ द्वारा 20 मामले, श्री रवि शंकर मिश्रा, सिविल जज (वरिष्ठ प्रभाग), विकासनगर, देहरादून, की पीठ द्वारा 110 मामले, श्रीमती निशा देवी, सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग), विकासनगर, देहरादून की पीठ द्वारा 80 मामले, श्री विकास कुमार, न्यायिक मजिस्ट्रेट, विकासनगर, देहरादून की पीठ द्वारा 255 मामले निस्तारित किये गये। बाह्य न्यायालय ऋषिकेश में श्री अजय डुंगराकोटी, प्रथम अपर जिला जज, ऋषिकेश, देहरादून की पीठ द्वारा 17 मामले, श्री विनोद कुमार बर्मन, सिविल जज (एस० डी०) ऋषिकेश, देहरादून की पीठ द्वारा 140 मामले, श्री भुपेन्द्र सिंह शाह, सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग) ऋषिकेश, देहरादून की पीठ द्वारा 115 मामले, सुश्री नंदिता काला, न्यायिक मजिस्ट्रेट, ऋषिकेश, देहरादून की पीठ द्वारा 68 मामले निस्तारित किये गये।
बाह्य न्यायालय डोईवाला में श्री विशाल वशिष्ठ, सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग) डोईवाला, देहरादून की पीठ द्वारा 309 मामलें निस्तारित किये गये।
बाह्य न्यायालय मसूरी में श्री शमशाद अली, सिविल जज (कनिष्ठ प्रभाग), मसूरी, देहरादून की पीठ द्वारा 28 मामलें निस्तारित किये गये। इस लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के मामले भी निस्तारित किये गये। उक्त लोक अदालत में प्री-लिटिगेशन स्तर के 6648 मामलों का निस्तारण किया गया तथा रू० 2,80,31,990/-रू0 की धनराशि के सम्बंध में समझौते किये गये।
सचिव/वरिष्ठ सिविल जज, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, देहरादून द्वारा अवगत कराया कि लोक अदालतें सरल व त्वरित न्याय प्राप्त करने का एक प्रभावी माध्यम है, लोक अदालतों में पक्षकार आपसी समझौते के आधार पर मामले का निस्तारण कराते हैं, ऐसे आदेश अंतिम होते हैं तथा पक्षकारों को उनके द्वारा दिया गया न्यायशुल्क भी वापस कर दिया जाता है।