प्रमुख विपक्षी दलों एवं जन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से एलिवेटेड रोड रद्द करने के सम्बन्ध में जुलुस निकाला।
प्रमुख विपक्षी दलों एवं जन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से एलिवेटेड रोड रद्द करने के सम्बन्ध में जुलुस निकाला।

प्रमुख विपक्षी दलों एवं जन संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से एलिवेटेड रोड रद्द करने के सम्बन्ध में जुलुस निकाला।
उत्तराखंड (देहरादून) शुक्रवार, 30 मई 2025
भारी बारिश होने के बावजूद आज सैकड़ों मज़दूर जुलुस निकाल कर मांग कि की लोगों को बेघर न किया जाये और प्रस्तावित एलिवेटेड रोड को रद्द किया जाये। आज तिलाड़ी विद्रोह की बरसी एवं सीटू के स्थापना दिवस के अवसर पर प्रमुख विपक्षी दलों एवं जन संगठनों द्वारा आयोजित संयुक्त जुलुस में शहर भर के लोग शामिल हुए और आरोप लगाया कि सरकार अपने ही वादों को तोड़ कर लोगों को बेघर करने के प्रयास में लगी है, और साथ साथ में विनाशकारी एलिवेटेड रोड बना कर शहर का पर्यावरण एवं मज़दूरों की बस्तियों को नष्ट करना चाह रही है। वक्ताओं ने कहा कि पुरे राज्य में स्वास्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर मात्र 143 करोड़ का बजट है जो इस परियोजना से 43 गुना कम है। इसके अतिरिक्त कोर्ट के आदेशों के बहाने अतिक्रमण पर कार्यवाही करने के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मज़दूर बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है ताकि बड़े रसूखदारों को बचाया जाये।
जुलुस होने के बाद मुख्य सचिव के नाम पर ज्ञापन नायब तहसीलदार को सौंपा कर प्रदर्शनकारियों ने मांग उठाई कि सरकार किसी को बेघर न करे। अगर किसी भी कारण से किसी को हटाना है, घर के बदले घर और जमीन का बाजार के अनुसार रेट दिया जाये। बिंदाल नदी किनारे बस्तियों में जारी बेदखली प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगा कर बड़े कमर्शियल एवं सरकारी प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही की जाये। प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द किया जाये और उस परियोजना पर निधि नष्ट करने के बजाय उतना ही पैसे देहरादून में बसें चलाने के लिए, महिलाओं को निशुल्क बस टिकट देने पर, और यातायात प्रबंधन को ठीक करने पर खर्च करे। प्रदेश भर में सरकार युद्धस्तर पर कदम उठाये कि लोगों को घर मिले, वन अधिकार कानून पर सख्ती से अमल हो, और विनाशकारी परियोजनाओं एवं कॉर्पोरेट सब्सिडी को बंद कर वह पैसे मज़दूरों, किसानों एवं महिलाओं के हित में खर्च करे।
कार्यक्रम को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ सत्यनारायण सचान; भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राज्य सचिव राजेंद्र पुरोहित; कांग्रेस पार्टी के मुख्य प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट; अखिल भारतीय किसान सभा के प्रांतीय अध्यक्ष सुरेंद्र सिंह सजवाण एवं प्रांतीय सचिव गंगाधर नौटियाल; CITU के जिला सचिव लेखराज एवं SS नेगी; CPI(ML) के राज्य सचिव इंद्रेश मैखुरी; उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के कुलदीप सिंह मंद्रवाल; चेतना आंदोलन की सुनीता; बस्ती बचाओ आंदोलन की प्रेमा एवं क्रन्तिकारी लोक अधिकार संगठन के भोपाल ने सम्बोधित किया। चेतना आंदोलन के शंकर गोपाल ने संचालन किया। सी.पी.एम. के जिला सचिव शिव प्रसाद देवली, बस्ती बचाओ आंदोलन के नरेंद्र, परिवर्तन पार्टी के CP शर्मा, एवं चेतना आंदोलन के राजेंद्र शाह, विनोद बडोनी, अरुण तांती, पप्पू,संजय, नरेश, प्रभु पंडित, मुमताज़, रामतेज, दया मौर्या, कमलेश, जनतुल आदि मौजूद रहे।
ज्ञापन सलग्न।
निवेदक,
जन हस्तक्षेप
सेवा में,
मुख्य सचिव महोदय
उत्तराखंड सरकार
विषय: देहरादून और उत्तराखंड में लोगों को बेघर करने की प्रक्रिया एवं विनाशकारी एलिवेटेड रोड परियोजना के संबंद में।
महोदय,
आज ऐतिहासिक तिलाड़ी विद्रोह के वर्षगाँठ एवं किसान दिवस के अवसर पर हम विभिन्न विपक्षी दलों एवं जन संगठनों की और से आये हुए प्रतिनिधि आपके संज्ञान में कुछ गंभीर बातों को लाना चाह रहे हैं।
बीते एक साल से राज्य सरकार अपने ही वादों को तोड़ कर राज्य भर में और ख़ास तौर पर देहरादून में लोगों को बेघर करने के प्रयास में लगी है। पिछले साल रिस्पना नदी पर 525 मकानों को तोड़ने की कोशिश की जबकि जनता की और से लगातार आवाज़ उठने के बाद पता चला कि अधिकांश वैध थे। अभी उसी मनमानी के साथ बिंदाल नदी पर कोशिश की जा रही है। कोर्ट के आदेशों का बहाना बनाया जा रहा है, जबकि वे आदेश नदियों के सम्बंधित हैं, और नदी किनारे या नदी के बीच बने होटल, रेस्टोरेंट, सरकारी विभाग पर कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। अतिक्रमण पर कार्यवाही करने के नाम पर सिर्फ और सिर्फ मज़दूर बस्तियों को निशाना बनाया जा रहा है। 17 जनवरी को आपने बयां दिया था कि “एक भी मलिन बस्ती नहीं टूटेगी”, लेकिन सरकार उसका ठीक उल्टा मंशा से काम कर रही है।
साथ साथ में एलिवेटेड रोड के नाम पर जो कार्य की जा रही है, वह स्पष्ट रूप से जन हित में नहीं है। प्रशासन के रवैयों से लगता है कि वह इस परियोजना के पक्ष में माहौल बनाने के प्रयास में लगे हैं, यहाँ तक कि क़ानूनी प्रावधानों की धज्जिया भी उड़ाई जा रही है। “सामाजिक समाघात निर्धारण अध्ययन” (SIA) के नाम पर जो कार्यवाही की जा रही है, वह कानून के विपरीत है और उसमें कोई निष्पक्षता नहीं दिख रहा है। अख़बारों द्वारा प्राप्त हुई खबरों के अनुसार इस परियोजना का प्रस्तावित बजट 6200 करोड़ से ज्यादा है। महोदय, उत्तराखंड राज्य का इस साल का बजट के अनुसार पुरे राज्य में स्वास्थ इंफ्रास्ट्रक्चर पर मात्र 143 करोड़ का बजट आवंटित किया गया है। इस परियोजना पर सरकार इस रकम से 43 गुना ज्यादा पैसे खर्च करना चाह रही है। यह उत्तराखंड की जनता के साथ धोखा है।
सत्ताधारी दल के नेताओं के बयानों के अनुसार यह परियोजना देहरादून में यातायात स्थिति को देखते हुए प्रस्तावित किया गया है। सच्चाई यह है कि ट्रैफिक सिग्नल को ठीक करने से, निजी स्कूलों को बसों को चलाने का अनिवार्य करने से, पार्किंग के लिए ठीक व्यवस्था बनाने से, और ऐसे अन्य छोटे कदमों को उठाने से देहरादून में यातायात स्थिति में काफी सुधार लाया जा सकता है। लेकिन आज तक सरकार ने किसी भी अध्ययन को सार्वजनिक नहीं की है जिससे जनता को पता चले कि यह प्रस्तावित परियोजना की ज़रूरत क्या है।
मीडिया द्वारा प्राप्त हुई खबरों के अनुसार 2600 से ज्यादा घरों को तोडना होगा और हकीकत में इससे कई ज़्यादा घर और लोग शायद प्रभावित होने वाले हैं। इनकी सुरक्षा, रहने की व्यवस्था, और पुनर्वास के बारे में अभी तक सरकार खामोश है। अभी इन परिवारों के बीच में आतंक फ़ैल रहा है जिसका प्रतिकूल प्रभाव ख़ास तौर पर महिलाओं और बच्चों पर पड़ रहा है। समाज के सबसे वंचित और कमज़ोर वर्ग को ऐसी स्थिति में रहने को मज़बूर करना हमारे संविधानिक मूल्यों और उनके क़ानूनी हक़ों का हनन है।
अतः हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि:
– सरकार किसी को बेघर न करे। अगर किसी भी कारण से किसी को हटाना है, घर के बदले घर और जमीन का बाजार के अनुसार रेट दिया जाये।
– बिंदाल नदी किनारे बस्तियों में जारी बेदखली प्रक्रिया पर तुरंत रोक लगा कर बड़े कमर्शियल एवं सरकारी प्रतिष्ठानों पर कार्यवाही की जाये।
– प्रस्तावित एलिवेटेड रोड परियोजना को रद्द किया जाये।
– उस परियोजना पर निधि नष्ट करने के बजाय उतना ही पैसे देहरादून में बसें चलाने के लिए, महिलाओं को निशुल्क बस टिकट देने पर, और यातायात प्रबंधन को ठीक करने पर खर्च करे।
– प्रदेश भर में सरकार युद्धस्तर पर कदम उठाये कि लोगों को घर मिले, वन अधिकार कानून पर सख्ती से अमल हो, और विनाशकारी परियोजनाओं एवं कॉर्पोरेट सब्सिडी को बंद कर वह पैसे मज़दूरों, किसानों एवं महिलाओं के हित में खर्च करें।